विशेषता
!! माँ का आर्शीवाद !!
जो भक्तजन मेरे स्थान पर गाँव चिटाना में मेले के समय नवरात्रों में सप्तमी और अष्ठमी को माता की पूजा अर्चना करेगा। और तालाब से सात बार मिट्टी निकालेगा और मेरी कढ़ाई करेगा उस पर मेरी कृप्या सदा-सदा के लिए बनी रहेगी।
मन्दिर के किसी भी कार्य में जो भक्त किसी भी प्रकार का सहयोग दे सकता है धन रूपी सहयोग किस्तों में भी दे सकाता है।
ईमली के पेड़ पर कलावा बांधने से हर मनोकामना पूरी होती है।
विशेषता !
जो भी भक्तजन भण्डारें में किसी भी प्रकार का सहयोग दें सकते हैं।
मेले के दौरान विदेशों से माता के भक्त आते हैं।
ट्रस्ट की तरफ से इंटेलीजेंट बच्चों को प्रोत्साहित किया जाता है।
ट्रस्ट की तरफ से गांव में सफाई अभियान चलाया जाता है और असमर्थ परिवारों को सहयोग भी किया जाता है।
सभा में शादीशुदा लड़की को सूट देकर सम्मानित किया जाता है।
मेले के दौरान सप्तमी को शाम 7:30 बजे जागरण कराया जाता है।
मेले के दौरान छठी, सप्तमी और अष्टमी तीन दिनों तक 24 घंटे भंडारे की व्यवस्था रहती है।
प्रशासन और ट्रस्ट दोनों द्वारा सुरक्षा की होती है।
मेले में 51 गांव की पंचायतें मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन करती हैं।
400 साल पुराना एक इमली का पेड़ है इस पेड़ पर धागा बांधने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
गांव की प्रत्येक लड़की की शादी में 21 सूट और 51 बर्तन का सेट ट्रस्ट की ओर से दिए जाते है।
यहाँ पर माता के तालाब से सात बार मिट्टी निकालने की परंपरा है।
तालाब से 7 बार मिटटी निकालने से कष्टों का निवारण होता है।
बच्चे यहां मंदिर में आके अपना जन्मदिन मना सकते हैं।
यदि कोई चाहे तो प्रतिदिन 1.25 रुपये का हिसाब से साल के 456 रुपये एक बारी में जमा करवा सकता है।
मेले में 51 गांव की पंचायत मिलकार इस कार्यक्रम का आयोजन करती है।
मंदिर में मुफ्त डिस्पेंसरी एवं मुफ्त दवाइयाँ की भी व्यवस्था है।
माता की सहज रसोई में गांव के लोग एवं सदस्य सहयोग करते हैं।