!! जय माँ चिट्टाने वाली !!
भारत देश महान परंपरा, धर्म अध्यात्म, साधना और भक्ति का देश है। जहाँ अतिप्राचीन वक्त से श्रद्धां-स्थल के रूप में मन्दिर बहुत महत्व रखते हैं। यहाँ पर बहुत से मन्दिर ऐसे भी हैं। जहाँ अविश्वसनीय चमत्कार भी होते बताए जाते है। एसे ही इतिहासिक मन्दिर में से एक मन्दिर माँ चिट्टाने वाली का मन्दिर (सिद्ध पीठ) है। जो गाँव चिटाना, जिला सोनीपत में स्थित है।
लगभग 400 वर्ष पूर्व गांव चिटाना जिला सोनीपत में एक ब्रह्माण की लड़की को माता चिटाने वाली मां ने स्वपन में दर्शन देकर कहा कि मैं तलाब में दबी हुई हूँ सवेरा होने पर लड़की ने स्वपन वाली बात अपने पिता को बताई। लड़की के माता पिता ने गाँव को इक्ट्ठा किया और लड़की के स्वपन की बात बताई गाँव वाले तालाब पर गये और उस स्थान पर खुदाई करवाई जहाँ से माता जी की भव्य मूर्ति प्रकट हुई उसे बड़ी श्रद्धा पूर्वक निकाला गया और पूजा अर्चना की फिर निर्णय लिया गया कि माता जी का एक छोटा सा भवन बनवाया जाए।
सभी गाँव वालो ने मिलकर तालाब के बीचो बीच मिट्टी डालकर भवन तक जाने का रास्ता बनाया, हर नव रात्रों में सप्तमी व अष्ठमी के दिन मेरी पूजा अर्चना की जाएं , माता जी की आज्ञानुसार हर नवरात्रों में सप्तमी व अष्ठमी के दिन गाँव चिटाना में जो की सोनीपत से मात्र 10 किलोमीटर दूरी पर है। तालाब के किनारे उसी स्थान पर माता जी का एक विशाल मेला लगता है।
जिस तालाब में माता जी निकली थी उसी तालाब से सात बार मिट्टी निकालने का विशेष महत्व है और भक्तों की श्रद्धा भी बढ़ती है। देश के कोने-कोने से माता जी के भक्त माता जी के दर्शनों के लिए आते है। शहर सोनीपत से यातायात के पर्याप्त साधन है , भक्तों के विश्राम के लिए भी अच्छे साधन है। माता जी की कृप्या से भण्डारें का भी आयोजन होता है सप्तमी को रात्री के समय माता जी की सामूहिक आरती होती है ऐसी सामूहिक आरती पूरे भारत में कही देखने को नहीं मिलेगी। माता जी के स्थान पर एक इमली का पेड़ भी है जो कि 400 साल पूराना पेड़ है जो कि कई वर्षों से सुखा हुआ था। 1-9-2017 को चिटाना गाँव में माता रानी की एक ट्रस्ट बनाई गई और माता रानी के स्थान पर अखण्ड ज्योत जलने के बाद इमली का पेड़ पुनः हरा भरा हो गया। और बहुत अच्छा फल देने लगा माता रानी के स्थान पर हर महीने चाँदनी वाली अष्ठमी को हवन और भण्डारें का आयोजन किया जाता है। जो भी भक्तजन भण्डारें में किसी भी प्रकार का सहयोग दें सकते हैं।
श्री दीपक भारद्वाज (पूजारी) 7015757874
प्रातः 8:30 से 10:30 बजे तक
प्रातः 10:30 से 11:30 बजे तक
नव दुर्गा जल शयन
प्रातः 11:30 से 12:15 बजे तक
प्रातः 8:30 से 10:30 बजे तक
प्रातः 10:30 से 11:30 बजे तक
नव दुर्गा अन्न शयन
प्रातः 11:30 से 12:15 बजे तक
प्रातः 8:30 से 10:30 बजे तक
प्रातः 10:30 से 11:30 बजे तक
नव दुर्गा फल शयन
प्रातः 11:30 से 12:15 बजे तक
प्रातः 8:30 से 10:30 बजे तक
प्रातः 10:30 से 11:30 बजे तक
नव दुर्गा पुष्प शयन
प्रातः 11:30 से 12:15 बजे तक
प्रातः 7:00 से 9:00 बजे तक
प्रातः 10:00 से सांय 3:00 बजे तक
नव दुर्गा बिस्तर शयन
सांय 4:00 से माता की इच्छा तक
प्रातः 8:00 से 9:00 बजे तक
प्रातः 10:00 से 11:00 बजे तक
मूर्ति व कलश स्थापना व ध्वजारोहण
दोपहर 12:00 से 2:10 बजे तक
माता दर्शन : प्रात 4 बजे से
महामाई का गुणगान : जाजी किंग
महामाई की विशाल आरती
रात्रि : 12:00 बजे से महामाई की इच्छा तक
माता दर्शन : प्रात 4 बजे से
प्रातः 10:30 से 11:30 बजे तक
महा लक्ष्मी जी की एवं माँ शेरावाली की सप्तमी मध्य रात्री में 12:00 PM भव्य आरती पूजा एवं अष्टमी को माता शेरांवाली का चूरमा प्रसाद
गांव चिटाना में स्थित माँ चिट्टाने वाली माता के (सिद्ध पीठ) इतिहासिक प्राचीन मन्दिर में अश्विन व चैत्र माह की सप्तमी व अष्टमी को ऐतिहासिक मेला लगता है। सप्तमी की मध्यरात्री को सामुहिक जगमग आरती पूजा होती है, जोकि पूरे भारत में कहीं भी देखने को नहीं मिलेगी ।
नोट : मध्यरात्री की पूजा व चूरमा प्रसाद का महत्व :-
आरती करने व चूरमा प्रसाद खाने से सभी प्रकार के आँखों के रोग व सभी प्रकार के कुष्ट रोग और सभी प्रकार के शारिरिक कष्टों से छुटकारा मिलता है ।
महिमा :-
माता चिटाने वाली जी की जो भक्तजन पूजा अर्चना करेगा उसको सभी प्रकार का लाभ मिलेगा ।
आरती
!! श्री गणेश जी की आरती !!
!! माता चिट्टाने वाली की जय !!
!! जगदम्बे माता जी की आरती !!
!! काली जी की आरती !!
!! जय माता की !!
!! श्री ज्वाला काली देवी जी की आरती !!
!! आरती श्री लक्ष्मी जी की !!
“आरती श्री जगदीश जी की "
!! आरती सन्तोषी माता जी की !!
!! आरती श्री हनुमान जी की !!
!! आरती श्री शिव शंकर जी की !!
मन्दिर 'श्री' देवी जी चिट्टाने वाली माँ
(सिद्ध पीठ)
गांव चिटाना में स्थित माँ चिट्टाने वाली माता के (सिद्ध पीठ) इतिहासिक प्राचीन मन्दिर में अश्विन व चैत्र माह की सप्तमी व अष्टमी को ऐतिहासिक मेला लगता है। सप्तमी की मध्यरात्री को सामुहिक जगमग आरती पूजा होती है, जोकि पूरे भारत में कहीं भी देखने को नहीं मिलेगी ।
पुण्य कमाने के छः रास्ते
गाय को घास खिलाने से ग्रह पीड़ा दूर होती है।
पक्षियों को दाना डालने से व्यापार में बढ़ोतरी होती है।
कुत्ते को रोटी खिलाने से दुश्मनों से पीछा छूटता है।
मछली को आटे की गोली डालने से गई हुए समृद्धि वापिस आती है।
चींटियों को आटा डालने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
माता-पिता की सेवा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ।। जय.... एक दन्त दया वन्त, चार भुजाधारी । मस्तक पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी ।। जय..... अंधन को आँख देत कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया ।।
बोलु जयकारा मैया चिटाने वाली तेरे री भवन में -२ तेरे री भवन में मैया ब्रहमा जी भी आए वेद सुनाया बड़ा प्यारा, मैया तेरे री भवन में मैं बोलु जयकारा... तेरी री भवन में मैया विष्णुजी भी आए चक चलाया बड़ा प्यार मैया तेरी री भवन में मैं बोलु जयकारा...
ऊँ जय अम्बे गौरी, मैय्या जय श्यामा गौरी मैय्या जय मंगल मूरति, मैय्या जय आनन्द करणी, मैय्या जय संकट हरणी । मैय्या जय जय जय करनी, मैय्या जय ऋद्धि सिद्धी करनी तुमको निस दिन ध्यावे, माता जी को सदा ही मनावे, हर ब्रह्म विष्णु हरि । ऊँ जय अम्बे गौरी ।
अम्बे तु है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली । तेरे ही गुण गाएं भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती । मां इस देश के भक्तजनों पर भीड़ पड़ी है भारी, दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके शेर सवारी । सौ सौ सिंहों से बलशाली है दस भुजाओं वाली तेरे ही गुण गाएं भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।
माता री रिद्धी दे, सिद्धी दे, अष्ट नव निधि दे। वंश में वृद्धि दे, माँ श्री भवानी। हृदय में ज्ञान दे, चित्त में ध्यान दे, महा वरदान दे, मन मानी । गुणों की रीत दे, चरणों में प्रीत दे, शत्रुओं से जीत दे, माँ श्री भवानी
मंगल की मेवा, सुन मेरी देवा, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े । पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट धरें । सुन जगदम्बे, कर न विलम्बे, सन्तन के भण्डार भरे । सन्तन प्रतिपाली सदा खुशिहाली जय काली कल्याण करें । बुद्धि विधाता तू जगमाता, मेरे कारज सिद्ध करें । चरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन पड़े ।
ओ३म् जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु धाता ।। ओ३म् ।। उमा, रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता । सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ।। ओ३म् ।। दुर्गा रूप निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।
ॐ जय जगदीश हरे, प्रभु ! जगदीश हरे ।। भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे ।। ॐ।। जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मनका सुख-सम्पत्ति घर आवै, कष्ट मिटै तन का ।। प्रभु ।। ॥ॐ॥
ॐ जय सन्तोषी माता, मैय्या जय सन्तोषी माता, अपने सेवक जन को सुख सम्पत्ति दाता । सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हों, हीरा पन्ना दमके तन शृंगार लीन्हो । गेरू लाल छटा छवि बदल कमल सोहे, मंद हसंत करूणामयी त्रिभुवन मन मोहे । स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर डुले प्यारे, धूप दीप मधु मेवा भोग लगे न्यारे । शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोहे, सन्तोषी कहलाई भक्तन विभव दीजैं ।
आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।। जाके बल से गिरवर कांपे, रोग दोष जाके निकट न झांके ।। अंजनी पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई ।। दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये ।। लंका से कोट समुन्द्र सी खाई, जात पवन सुत बार ना लाई ।।
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओमकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा ॥ ओम जय शिव ओमकारा ॥ एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे । हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ।। ओम जय शिव ओमकारा ॥
चालीसा
ॐ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते । नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो अम्बे दुख हरनी । निरंकार है ज्योति तुम्हारी, तिहुँ लोक फैली उजियारी ।
जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ।। राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ।। महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा ।।
मंत्रा
सब प्रकार के कल्याण के लिए सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तु ते। महामारी नाश के लिए ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥
महासरस्वती - ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः ।
महाकाली - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः ।
महालक्ष्मी - ॐ श्रीं ह्रीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।
विशेष:
- जो भी भक्तजन भण्डारें में किसी भी प्रकार का सहयोग दें सकते हैं।
- मेले के दौरान विदेशों से माता के भक्त आते हैं।
- ट्रस्ट की तरफ से इंटेलीजेंट बच्चों को प्रोत्साहित किया जाता है।
- ट्रस्ट की तरफ से गांव में सफाई अभियान चलाया जाता है और असमर्थ परिवारों को सहयोग भी किया जाता है।
- सभा में शादीशुदा लड़की को सूट देकर सम्मानित किया जाता है।
- मेले के दौरान सप्तमी को शाम 7:30 बजे जागरण कराया जाता है।
- मेले के दौरान छठी, सप्तमी और अष्टमी तीन दिनों तक 24 घंटे भंडारे की व्यवस्था रहती है।
- प्रशासन और ट्रस्ट दोनों द्वारा सुरक्षा की होती है।
- मेले में 51 गांव की पंचायतें मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन करती हैं।
- 400 साल पुराना एक इमली का पेड़ है इस पेड़ पर धागा बांधने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- गांव की प्रत्येक लड़की की शादी में 21 सूट और 51 बर्तन का सेट ट्रस्ट की ओर से दिए जाते है।
- यहाँ पर माता के तालाब से सात बार मिट्टी निकालने की परंपरा है।
- तालाब से 7 बार मिटटी निकालने से कष्टों का निवारण होता है।
- बच्चे यहां मंदिर में आके अपना जन्मदिन मना सकते हैं।
- यदि कोई चाहे तो प्रतिदिन 1.25 रुपये का हिसाब से साल के 456 रुपये एक बारी में जमा करवा सकता है।
- मेले में 51 गांव की पंचायत मिलकार इस कार्यक्रम का आयोजन करती है।
- मंदिर में मुफ्त डिस्पेंसरी एवं मुफ्त दवाइयाँ की भी व्यवस्था है।
- माता की सहज रसोई में गांव के लोग एवं सदस्य सहयोग करते हैं।