काली जी की आरती

!! काली जी की आरती !!

अम्बे तु है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाएं भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।

मां इस देश के भक्तजनों पर भीड़ पड़ी है भारी,

दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके शेर सवारी ।

सौ सौ सिंहों से बलशाली है दस भुजाओं वाली

तेरे ही गुण गाएं भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।

अम्बे तु है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाएं भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।

मां बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता ।

पूत कपूत सुने हैं पर ना माता सुनी कुमाता ।

सब पे दया दरसाने वाली लुभाने बरसाने वाली

तेरे ही गुण गाएं भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।

अम्बे तु है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाएं भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।

ना मांगे हम धन और दौलत न चाँदी न सोना ।

हम तो मांगे मां तेरे मन में इक छोटा सा कोना ।

सब पे दया दरसाने वाली लुभाने बरसाने वाली

तेरे ही गुण गाएं भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।

अम्बे तु है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाएं भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।

सर्वाबाधाविनिमुक्तो धन धान्यसुतान्वितः ।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविपष्यति न संशयः ।।